भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत हर वित्तीय वर्ष (Financial Year) की शुरुआत से पहले सरकार को संसद में केंद्रीय बजट या बजट पेश करना जरूरी होता है | जैसा के आप सभी जानते हैं वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट यानी यूनियन बजट, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने कल (1 फरवरी 2023) को सुबह 11 बजे सदन में पेश किया है।
केंद्रीय बजट क्या है:
किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा एक सरकारी दस्तावेज है। यह हर वित्तीय वर्ष 1अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31मार्च को समाप्त होता है।
Union Budget का महत्व?
एक सरकारी बजट,सरकार द्वारा व्यय और राजस्व पर नियंत्रण प्रदान करने का साधन है। केंद्रीय बजट का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता के साथ-साथ हमारे देश का तेज और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करना होता है। यह देश की दशा और दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। और वित्तीय रिपोर्टिंग के माध्यम से जवाबदेही प्रदान करने का एक साधन भी है।
देश बजट पेश होने का इंतजार कर रहा होता है, हर कोई इसे अपने इंटरेस्ट के हिसाब से समझने की कोसिस करता है, फिर भी हममें से कई ऐसे हैं जो बजट भाषण को सुनते हुए या बजट के बारे में पढ़ते हुए भी सभी टर्मिनोलॉजी जो इसमें आम तौर पर इस्तेमाल होती हैं, अधिकत्तर समझ नहीं पाते हैं, क्योंकि हमें सभी प्रमुख शब्दों का मतलब पता नहीं होता, उन्हें समझने से अछूते रहते हैं।
आइए, केंद्रीय बजट 2023 को बेहतर ढंग से समझने के लिए इन बुनियादी लेकिन महत्वपूर्ण बजटीय termsको समझने की कोसिस करते हैं, जो केंद्रीय बजट के जारी होने पर उसे बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगी।
राजस्व कर/Tax Revenue:
यह वह राशि है जो कर के रूप में सरकार द्वारा एकत्र की जाती है जो आपकी आय,माल और अन्य चीजों के मुनाफे पर लगाई जाती है। कर राजस्व सरकार की आय का प्राथमिक स्रोत है।
प्रत्यक्ष कर /सीधा कर/Direct Tax:
जैसा कि नाम से पता चलता है, वह कर है जो किसी व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को भुगतान किया जाता है। इसमें इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स दोनों शामिल हैं।
अप्रत्यक्ष कर/Indirect Tax:
दूसरी ओर, अप्रत्यक्ष कर, लोगों द्वारा किसी व्यक्ति/संगठन/संस्था को दिया जाने वाला कर है, जिस पर सरकार को कर चुकाने का भार होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी विक्रेता से उत्पाद खरीदते हैं,
तो उस विक्रेता को उस बिक्री पर सरकार को कर का भुगतान करना होता है। हालांकि, विक्रेता बाद में जीएसटी के रूप में आपसे वह कर राशि वसूल कर सकता है,जो अंततः भारत सरकार द्वारा जमा की जाती है। इस प्रकार,यह आपको एक अप्रत्यक्ष करदाता बनाता है।
राजकोषीय घाटा/Fiscal Deficit:
जब सरकार का कुल राजस्व उसके कुल व्यय से अधिक हो जाता है, तो उस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। सरल शब्दों में, यह वह घाटा है जो तब उत्पन्न होता है जब सरकार का व्यय एक वर्ष में सरकार द्वारा उत्पन्न राजस्व/कमाई से अधिक होता है।
राजस्व घाटा/Revenue Deficit:
यह सरकार द्वारा रोजमर्रा के कार्यों पर खर्च की जाने वाली राशि और करों और अन्य स्रोतों से इसकी कुल आय का अंतर है। जब भी राजस्व घाटा उत्पन्न होता है, केंद्र को अंतर को संतुलित करने के लिए धन उधार लेना होता है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)/Gross Domestic Product (GDP):
यह शब्द आपने कई बार देखा होगा। सकल घरेलू उत्पाद एक निश्चित समय में देश के भीतर उत्पादित,अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा खरीदे गए सभी सामानों और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का माप है।
राजकोषीय नीति/Fiscal Policy:
यह सरकार द्वारा अपनाई गई नीति है जहाँ वह अपनी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के लिए कराधान,सार्वजनिक उधारी और सार्वजनिक व्यय का उपयोग करती है ताकि स्थायी विकास प्राप्त किया जा सके। एक स्वस्थ राजकोषीय नीति मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होती है।
मुद्रा स्फ़ीति/महँगाई/Inflation:
यह समझने में काफी आसान शब्द है। मुद्रास्फीति केवल कीमतों में वृद्धि है। इसे तोड़ने के लिए, यह उस दर को संदर्भित करता है जिस पर किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ रही है।
सीमा शुल्क/Customs Duty:
भारत से माल के आयात या निर्यात में एक निश्चित राशि का कर शामिल होता है जो सरकार द्वारा लेनदेन राशि पर लगाया जाता है। जबकि सीमा शुल्क का भार आयात या निर्यात करने वाले व्यक्ति/संस्था पर पड़ता है, यह कभी-कभी उपभोक्ता पर भी डाला जाता है।
मौद्रिक नीति/Monetary Policy:
यह अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा की गई कार्रवाई को संदर्भित करता है। एक अर्थव्यवस्था में financial निगरानी करना महत्वपूर्ण है ताकि highest विकास प्राप्त किया जा सके।